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 राजनीतिक दल और उनके घोषणापत्र

 

अरशद नदीम

आम चुनाव से पूर्व चुनाव रण भूमि में उतरने वाली पार्टियां एक दुसरे के चुनावी घोषणा पत्र को एक मुद्दा बनाये हुए हैं। कांग्रेस का चुनावी घोषणा पत्र जिसे उसके शीर्ष नेताओं नेन्याय पत्रकहा है ,पर भाजपा ने एक नयी बेहेस शरू करदी है। प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी ने इसे मुस्लिम लीग की छाप वाला बताया है जबकि कांग्रेस ने अपने घोषणा पत्र को क्रन्तिकारी और युवाओं,बेरोज़गारों,अल्पसंखकयकों तथा देश की समस्त जनता के लिए लाभदायक कहा है।

राजनीतिक दल चुनाव से पहले मतदाताओं के सामने घोषणापत्र के जरिए अपने दृष्टिकोण का नमूना पेश करते हैं। व्यक्तित्व-आधारित राजनीति और संचार के तरीकों में तेजी से हुए बदलावों ने भले ही घोषणापत्रों के महत्व को कम कर दिया हो, लेकिन फिर भी वे शासन और राजकीय नीति के प्रति एक राजनीतिक दल के दृष्टिकोण का एक व्यवस्थित दस्तावेज सामने रखते हैं। वर्ष 2024 के लिए कांग्रेस का घोषणापत्र, जिसे ‘न्याय पत्र’ का नाम दिया गया है, सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की व्यापक वैचारिक परियोजना के सामने पार्टी के राजनीतिक पुनरुद्धार की एक जमीन है। कांग्रेस ने युवाओं, महिलाओं, किसानों, श्रमिकों और समानता के लिए न्याय जैसी श्रेणियों के तहत 25 गारंटियों की पेशकश की है। पार्टी के मुताबिक, मुख्य जोर सामाजिक न्याय, अर्थव्यवस्था और संवैधानिक संस्थानों की प्रधानता पर है और यह नरेन्द्र मोदी की अगुवाई वाली राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन सरकार द्वारा कथित तौर पर किए गए “नुकसान को उलटने” का वादा है। सबसे महत्वपूर्ण राजनीतिक वादा अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति तथा अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) के लिए आरक्षण पर 50 फीसदी की सीमा को हटाना और देशव्यापी जाति जनगणना कराना है। कांग्रेस इस मामले में एक अनजानी धरातल पर पांव रख रही है, क्योंकि वह लंबे समय तक राजनीति के निर्धारक तत्व के रूप में जाति की हकीकत को नकारती रही है, जबकि भाजपा ने इस पर ध्यान देकर अपना आधार बढ़ाया है। “सभी आपराधिक कानूनों में ‘जमानत नियम है, जेल अपवाद है’” को सुनिश्चित करने के लिए एक नया कानून, निजता के अधिकार और व्यक्ति के खान-पान, पोशाक या शादी संबंधी पसंद में हस्तक्षेप करने वाले सभी कानूनों की समीक्षा, मीडिया के लिए स्व-नियमन की एक व्यवस्था और इंटरनेट की आजादी को संरक्षित करने के लिए एक कानून का भी वादा किया गया है।

महालक्ष्मी योजना के तहत प्रत्येक गरीब परिवार को बिना शर्त हर साल एक लाख रुपये का नकद हस्तांतरण, न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) का कानूनी अधिकार और सार्वभौमिक स्वास्थ्य योजना के तहत 25 लाख रुपये तक के नकद रहित (कैशलेस) बीमा के साथ स्वास्थ्य का अधिकार कल्याणकारी योजनाओं की उस श्रृंखला में शामिल हैं, जिसकी पेशकश कांग्रेस मतदाताओं को कर रही है। इसके अलावा, पार्टी ने एक लाख रुपये के वार्षिक वजीफे के साथ प्रशिक्षुता (अप्रेंटिसशिप) का अधिकार, सरकारी परीक्षा व सरकारी पदों के लिए आवेदन शुल्क को खत्म करने, भुगतान नहीं किए गए ब्याज सहित सभी शैक्षिक ऋणों को एकमुश्त माफ करने के साथ-साथ और भी काफी कुछ का वादा किया है। क्या यह सब भाजपा के नजरिए के बरक्स खड़े होने वाले एक नए दृष्टिकोण को मजबूती देगा और राजकाज के मामले में कांग्रेस के अपने ट्रैक रिकॉर्ड के मद्देनजर विश्वसनीय साबित हो सकेगा, ये सवाल बने हुए हैं। कल्याणकारी योजनाएं राजनीतिक दलों के बीच अंतर करने वाली चीज नहीं रह गई हैं क्योंकि सभी दल इनका एक मिश्रण पेश करते हैं। कांग्रेस को अपने घोषणापत्र में दिखाई गई कल्पनाशीलता से भी आगे जाना चाहिए था।

 

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